ayodhya

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Monday, March 22, 2010

लड़ नहीं सकता

मां ने कहा, शरीफ इन्सान बनो,
बुराई से दूर रहो,क्यूंकि,
हम लड़ नहीं सकते,
टीचर ने कहा,अच्छे मार्क्स लाओ वर्ना,
जिंदगी से तुम लड़ नहीं सकते,
सरेआम होती कुत्सित मर्दानगी,
को देख के दोस्त बोले,
हमसे क्या मतलब,ऐसों से दूर रहो क्यूंकि,
ऐसों से हम लड़ नहीं सकते,
पापा ने कहा,अच्छी नौकरी ढूंढो क्यूंकि अब,
हम अपनी गरीबी से लड़ नहीं सकते,
नौकरी मिली, असंतुष्ट मन ने कहा,
अब होगी लड़ाई,
बॉस ने कहा, जुबान सिल लो,
अपने मालिकों से,
तुम लड़ नहीं सकते,
अफसर बनने का ख्वाब था,नजदीक से देखा,
तो नफरत हो गयी,इस कमजोर शब्द से भी,
सोचा इस से तो होके रहेगी लड़ाई,पर,
वरिष्ठों ने कहा,तुम लड़ो,
हम लड़ नहीं सकते,
दिल ने कहा,पूरा नहीं तो थोड़ा ही परिवर्तन,
नेताओं से लड़ते हैं,पता चला,
मेरा लाला है उनका गुलाम,यानि,
हुक्मरानों के,
हिकमतगारों से लड़ नहीं सकते,
फिर खुद से लड़ने का फैसला किया,और,
जीत गया,
क्यूँ कहते हो कि,
हम लड़ नहीं सकते,
बोलो पुरान को मानोगे या विज्ञानं को,
"लड़ नहीं सकते" शब्द के साथ,
दोनों की पटरी पर,
तुम चल नहीं सकते,क्यूंकि,
डार्विन कहता है, योग्यतम की उत्तरजीविता,
और,
पुरान का प्रमान है,जो लड़ सका,
वही तो महान है,
गरीबों की छिनती रोटी देख कर,
तुम कहते हो कि,
तुम लड़ नहीं सकते,तो,
तुम्हारे मुंह के निवाले,हलक से निकल लिए जायेंगे,
मुझे पता है,तब भी तुम कहोगे कि, छोड़ो,
हम लड़ नहीं सकते,
तुम्हारी बहन-बेटियां सरेआम, सड़कों पर,
कुत्सित मर्दानगी का शिकार होंगी,
क्या तब भी तुम कहोगे कि,
हम लड़ नहीं सकते,
जब तुम्हे पैदा करने वाले की गाल पर,
शराफत का ईनाम मिलेगा,
तो भी कहोगे कि,
तुम लड़ नहीं सकते,
तो,
मुझे रंज है और ख़ुशी भी कि,
मै तुम सा न बन सका, क्यूंकि,
मुझे लड़ना है, मै लड़ सकता हूँ, लड़ता हूँ,
मुझे है तुम लोगो के,
कारवां का इन्तजार.

1 comment:

Ankita said...

i liked ur poems n blog!
gud work keep it up!
Ankita :)