ayodhya

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Wednesday, March 3, 2010

बुरा न मानों होली है....

मैं तुम्हारा पड़ोसी, खाली मेरी झोली है,
तुम बुरा न मानो होली है,
मुझसे कहते हैं कुछ बागी,
इस बेबराबर कुश्ती का जवाब गोली है,
पर मैं कहता आया कि बुरा न मानो होली है,
मेरे पेट की चमड़ी मेरे रीढ़ को छू ली है,
फिर भी दिल कहता है बुरा न मानो होली है,
सोचता है मेरा भी मन कभी कभी,
क्या बारूद ने ही हुक्मरानों की कान खोली है,
तब वो कहते हैं, नक्सली है दोस्तों,
बुरा न मानो होली है,
सुना है बाजार ने उम्मीदों की राह खोली है,
तब क्यूँ खाली मेरी झोली है,
पर मेरे प्यारे भारत,
तुम बुरा न मानो होली है.

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